zahar shayari | ज़हर शायरी

zahar shayari




सख़्त-जाँ भी हैं और नाज़ुक भी,

दर्द के बावजूद जीते हैं,

ज़िंदगी ज़हर है,

मगर फिर भी जीते हैं.


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कोई कहता है मोहब्बत जहर होती हैँ,

कोइ कहता हैँ मोहब्बत कहर होती हैँ,

और हम कहते हैँ ,

जो तङपती रही सदा किनारे के लिए

मोहब्बत एक ऐसी लहर होती हैँ.


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मैं लिपट जाऊं तेरे ख्वाब से

नागिन की तरह,

आ तू भी समां जा मुझमें

जहर की तरह.


Main Lipat Jaau Tere Khwaab Se

Nageen Ki Tarh,

Aa Tu Sanma Ja Mujhame

Zahar Ki Tarah.


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हम को मोहलत न मिली

वरना जहर का ज़ायका बताते हम,

तेरे इश्क़ ने खून के आंसू रुलाए

वरना , दिल लगी के बादशाह थे हम.





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हमे पता था की

उसकी मोहब्बत में ज़हर हैं,

पर उसके पिलाने का अंदाज ही

इतना प्यारा था की

हम ठुकरा ना सके .


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ज़िन्दगी है दो दिन

कुछ भी न गिला कीजिये,


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दवा ज़हर मुराद इश्क

जो मिले चख लीजिये.


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जाने ये कैसा ज़हर दिलों में उतर गया,

परछाईं ज़िंदा रह गई इंसान मर गया.

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मेरी उस मौत का मंजर भी

हसीं होगा,

तुम अपने लबों पे ज़हर रखो

और मैं उसे चूमता रहूँ.


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जहर देता हैं कोई कोई दवा देता हैं.

जो भी मिलता हैं मेरा दर्द बढ़ा देता हैं.


Zahar Deta Hai Koi, Koi Dawa Deta Hai.

Jo Bhi Milata Hai Mera Dard Badha Deta Hain.


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मैं तो ज़हर भी पी लूँगी

मेरी जान इक तेरी ख़ातिर,

पर शर्त है तू सामने बैठ मेरे

मेरी साँसों के टूटने तक.


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जहर का भी अपना हिसाब है,

मरने के लिए जरा सा,

और जीने के लिए

बहुत सारा पीना पड़ता है.


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यूं समझ लो कि,लगी प्यास गज़ब की थी

और पानी में जहर भी था,

पीते तो मर जाते

और न पीते तो भी मर जाते.


Yu Samjh Lo Ki Lagi Pyaas Gazab Ki Thi,

Aur Pani Me Zahar Tha Bhi

Peete To Mar Jaate

Aur Naa Peete To Bhi Mar Jate.


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न मौत आती है

न कोई दवा लगती है,

न जाने उसने इश्क में

कौन सा जहर मिलाया था.


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Naa Maut Aati Hai

Na Koi Dawa Lagati Hai.

Naa Jaane Usane Ishk Me

Kaun Sa Zahar Milaya Tha?


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Boyzzz के लिए चाय बना रही हूं,

जहर कितनी चम्मच डालू .


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इन हवाओं में आज ज़हर है,

जिन हवाओं में कल मेरा शहर था.


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इक न इक रोज़

कहीं ढूँढ ही लूँगा तुझको,


ठोकरें ज़हर नहीं हैं,

कि मैं खा भी न सकूँ.


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पीते पीते ज़हर-ए-ग़म

अब जिस्म नीला पड़ गया,

कुछ दिनों में देखना हम

आसमां होने को हैं.


इश्क तुझ से तो ज़हर

हजार गुना अच्छा है,

कमबख्त पीने के बाद

मौत तो आ जाती है.


Ishq Tujh Se Toh Zehar

Hajaar Guna Achha Hai,

Kambhkat Peene Ke Baad

Maut To Gale Laga Leti Hai.


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तेरे लहजे में लाख

मिठास सही मगर,

मुझे जहर लगता है तेरा

औरों से बात करना.


Tere Lahaze Me Lakh

Mithas Sahi Magar,

Mujhe Zahar Lagata Hai,

Tera Auro Se Baat Karana.


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इस शहर के लोगों में

वफ़ा ढूँढ रहे हो,

तुम जहर कि शीशी में

दवा ढूँढ रहे हो.


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ज़हर से ज्यादा खतरनाक है

ये मुहब्बत,

ज़रा सा कोई चख ले तो

मर-मर के जीता है.


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ये कैसा ज़हर फ़ज़ाओं में

भर गया यारो,

हर एक आदमी क्यूँ इस

क़दर अकेला है.


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वो जहर देकर कहते कि पीना होगा ,

पीने पर कहते है कि जिना होगा.


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जहर के असरदार होने से

कुछ नही होता दोस्त,

खुदा भी राजी होना चाहिए

मौत देने के लिये.


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ज़हर की चुटकी ही मिल जाए

बराए दर्द-ए-दिल,

कुछ न कुछ तो चाहिए बाबा

दवा-ए-दर्द-ए-दिल.

Zahar Ki Chutaki Hi Mil Jaaye

Baraye Dard-E-Dil,

Kuchh Na Kuchh To Chahiye Baba

Dawa-E-Dard-E-Dil,


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रात को आराम से हूँ मैं

न दिन को चैन से,

हाए ऐ वहशते दिल,

हाए हाए दर्द-ए-दिल.



Raat Ko Aaram Se Hun Main

Naa Din Ko Chain Se,

Hay E Washate Dil,

Hay-Hay Dard-E-Dil.


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पता नहीं कौन सा जहर मिलाया था

तुमने मोहब्बत में.

ना जिंदगी अच्छी लगती है

और ना ही मौत आती है.


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तुझसे जुदा होने का जहर,

पी लिया यारा मैंने,

जैसे था मुमकिन बस फिर भी,

जी लिया यारा मैंने .


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तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो

क्या गम है जिसको छुपा रहे हो

आँखों में नमी, हँसी लबों पर

क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो


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बन जायेंगे जहर पीते पीते

ये अश्क जो पीते जा रहे हो


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जख्म देना का अंदाज कुछ ऐसा है,

जख्म देकर पूछते है अब हाल कैसा है,


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जहर देकर कहते है पीना ही होगा,

जब पी गए तो कहते है अब जीना ही होगा.


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मोहब्बत की भी देखों ना,

कितनी अजीब कहानी है,

जहर तों पिया मीरा ने,

फिर भी राधा ही दिल की रानी हैं.


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जहर से खतरनाक है यह मोहब्बत,

जरा सा कोई चख ले तो मर मर के जीता है.


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अपनों ने जहर का जाम दे दिया

गैरो ने बेवफा नाम दे दिया,

जो कहते थे हमें भूल ना जाना

उन्ही ने भूलने का पैगाम दे दिया


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एक बुरी किताब पढना,

जहर पीने के समान होता है..

टालस्टाय के विचार


Ek Buri Kitab Padhana,

Zahar Peene Ke Samaan Hain.


सोचता हूँ धोखे से ज़हर दे दूँ,

सभी ख्वाहिशों को दावत पे बुला कर.


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किस्मत तो लिखी थी

मेरी सोने की कलम से,

पर इसका क्या करें कि

स्याही में ज़हर था.


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बेमुरव्वत रहूँ मगर वक़्त पे

वफ़ादार हो जाऊ,

ज़हर होकर भी दवा के तौर पर

असरदार हो जाउ.


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किसी ने हमसे कहा

इश्क़ धीमा ज़हर है,

हमने मुस्कुराके कहा

हमें भी जल्दी नहीं है.


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गुलाब ख़्वाब जाम

दवा ज़हर क्या-क्या है

मैं आ गया हूँ बता इन्तज़ाम क्या-क्या है?


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इस शहर के लोगों में वफ़ा ढूंढ रहे हो,

तो तुम जहर की शीशी में दवा ढूँढ रहें हो.


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अजीब सा जहर है तेरी यादों मै,

मरते मरते मुझे सारी ज़िन्दगी लगेगी.


शराब शराब हैं,

मैं ज़हर भी पी जाऊँ,

शर्त ये है कोई बाहों में

सम्भाले मुझको.


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जंगली जडी बुटी सा मै हूँ

किसी को जहर तो किसी

को दवा सा मैं हूँ.


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जहर लगते हो तुम हमें,

दिल करता है खाकर मर जाऊं.


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ज़हर भी है एक दवा भी है इश्क़,

तुझसे और तुझ तक मेरी रज़ा है इश्क़.

जिस्म छू कर तो हर कोई एहसास पा जाए,

रूह तक महसूस हो वो नशा है इश्क़.


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सवाल ज़हर का नहीं था

वो तो मैं पी गया,

तकलीफ़ लोगों को तब हुई

जब मैं ज़हर पी के भी जी गया.


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सब जगह तेरा क़हर है.

ऐ इश्क़ तू सच में. ज़हर हैं.


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जहर का भी अपना हिसाब है,

मरने के लिए जरा सा,

और जीने के लिए

बहुत सारा पीना पड़ता है.


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तुम बहुत दिल-नशीन थे मगर,

जब से किसी और के हो गए हो,

ज़हर लगते हो.


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रोज़ पिलाता हूँ

एक ज़हर का प्याला उसे,

एक दर्द जो दिल में है

मरता ही नहीं है.


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गुनाह करके सज़ा से डरते हैं,

जहर पी के दवा से डरते हैं,

दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं,

हम तो दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं.


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साँपो के मुक़ददर में अब. वो जहर कहा,

जो इंसान आजकल बातों में. उगल देते हैं.

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जहर भी खा लो और मोत भी ना हो.

ऐसी चाहत हो तो इश्क कर लो कोई मुझसे. 


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